बिहार नाम किसने दिया?

बिहार नाम किसने दिया?

बिहार का नाम बौद्ध भिक्षुओं के “विहारों” (निवास स्थलों) से आया है, जो धीरे-धीरे “बिहार” में बदल गया। मुस्लिम शासकों ने 12वीं सदी में पहली बार इस क्षेत्र को बिहार कहना शुरू किया। 

बिहार नाम कैसे पड़ा

  • ‘विहार’ से ‘बिहार’: बिहार शब्द संस्कृत और पालि भाषा के शब्द “विहार” से निकला है, जिसका अर्थ होता है निवास स्थान या मठ। 
  • बौद्ध धर्म के केंद्र: प्राचीन काल में, यह क्षेत्र बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र था, जहाँ बौद्ध भिक्षुओं के लिए बड़ी संख्या में मठ और विहार बनाए गए थे, जैसे नालंदा और विक्रमशिला। 
  • ‘विहारों की भूमि’: इन विहारों की बहुतायत के कारण इस क्षेत्र को “विहारों की भूमि” कहा जाने लगा। 
  • नामकरण में बदलाव: आम बोलचाल में और समय के साथ, “विहार” शब्द का उच्चारण बदल गया और यह “बिहार” हो गया। 
  • औपचारिक नाम: 12वीं सदी में मुस्लिम शासकों ने इस क्षेत्र को आधिकारिक तौर पर “बिहार” नाम दिया, जो धीरे-धीरे स्थायी हो गया। 

बिहार, जिसे अक्सर “शांति का निवास” कहा जाता है, इसका नाम संस्कृत और पाली शब्द ‘विहार’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है निवास स्थान। इस राज्य का गहरा ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि इसके इतिहास का अधिकांश भाग बौद्ध भिक्षुओं द्वारा बसाया गया था।

बिहार का नाम कैसे पड़ा?

बिहार का नाम पाली और संस्कृत के शब्द ‘विहार’ से पड़ा है, जिसका अर्थ ‘निवास’ या ‘मठ’ होता है। प्राचीन काल में, यह क्षेत्र बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र था और यहाँ बड़ी संख्या में बौद्ध मठ (विहार) स्थापित थे, जिससे यह क्षेत्र ‘विहारों की भूमि’ के रूप में जाना जाने लगा। समय के साथ, ‘विहार’ शब्द का यह रूप बदलकर ‘बिहार’ हो गया। 

  • ‘विहार’ का अर्थ: इसका अर्थ मठ या रहने का स्थान है, विशेष रूप से बौद्ध भिक्षुओं के लिए। 
  • बौद्ध धर्म का केंद्र: सम्राट अशोक और अन्य शासकों के संरक्षण में, इस क्षेत्र में नालंदा और विक्रमशिला जैसे कई महान शिक्षण केंद्र और विहार बने, जो बौद्ध भिक्षुओं के निवास थे। 
  • परिवर्तन: इन विहारों की बहुतायत के कारण इस क्षेत्र को ‘विहारों की भूमि’ कहा जाने लगा, जो धीरे-धीरे ‘बिहार’ के रूप में परिवर्तित हो गया। 
  • औपचारिक नाम: 1912 में, जब बिहार और ओडिशा को बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग कर एक नया प्रांत बनाया गया, तब इसे आधिकारिक तौर पर ‘बिहार’ नाम दिया गया। 

महाभारत काल में बिहार का मुख्य नाम मगध था, जो वर्तमान दक्षिण बिहार को संदर्भित करता था। इस क्षेत्र के अन्य हिस्से भी थे, जैसे कि अंगदेश (भागलपुर) और वैशाली जो महाभारत काल में महत्वपूर्ण थे। मगध साम्राज्य की राजधानी “गिरिव्रज” (अब राजगीर) थी, जो महाभारत के कई प्रमुख घटनाओं का केंद्र थी। 

  • मगध: दक्षिण बिहार का प्राचीन नाम, जिस पर जरासंध का शासन था। इसकी राजधानी गिरिव्रज थी, जो आज के राजगीर के पास है। 
  • अंगदेश: वर्तमान भागलपुर क्षेत्र को अंगदेश कहा जाता था और इसकी राजधानी चम्पानगरी (आधुनिक मुंगेर) थी। 
  • वैशाली: एक प्राचीन शहर, जिसका नाम राजा विशाल के नाम पर रखा गया था। 
  • कीकट: ऋग्वेद में बिहार क्षेत्र के लिए इस्तेमाल किया गया एक और नाम। 
  • एकचक्रनगरी: महाभारत में उल्लिखित यह स्थान आज के आरा, बिहार में है। 

बिहार का असली नाम क्या है?

बिहार का “असली” नाम इसके प्राचीन इतिहास में छिपा है, जो ‘मगध’ था। हालांकि, आधुनिक नाम ‘बिहार’ संस्कृत और पाली शब्द ‘विहार’ से आया है, जिसका अर्थ है ‘मठ’ या ‘निवास स्थान’। यह नाम इस क्षेत्र में बौद्ध मठों की बहुतायत के कारण पड़ा, जिनमें नालंदा और विक्रमशिला जैसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय भी शामिल थे। 

  • मगध: यह बिहार का प्राचीन नाम था, जो एक शक्तिशाली साम्राज्य था और बौद्ध और जैन धर्म के उद्भव का केंद्र था। 
  • विहार: यह संस्कृत/पाली शब्द है जिसका अर्थ है ‘मठ’ या ‘निवास स्थान’। 
  • बिहार: समय के साथ ‘विहार’ शब्द बदलकर ‘बिहार’ हो गया, जो क्षेत्र में बौद्धों के लिए ‘विहारों’ के अस्तित्व को दर्शाता है। 

बिहार का असली या पुराना नाम मगध है, जिसे ऋग्वेद में कीकट भी कहा गया है। आधुनिक बिहार का नाम संस्कृत और पाली शब्द विहार (जिसका अर्थ है मठ या निवास) से लिया गया है, क्योंकि यह क्षेत्र बौद्ध भिक्षुओं के लिए मठों की भूमि था। 

  • प्राचीन नाम: मगध
  • ऋग्वेदिक नाम: कीकट
  • वर्तमान नाम का मूल: विहार (अर्थ: मठ/निवास)


बिहार का सबसे पुराना नाम क्या था?

बिहार का सबसे पुराना नाम मगध था, जो प्राचीन भारत के एक शक्तिशाली महाजनपद का हिस्सा था। बाद में, बौद्ध भिक्षुओं के मठों के कारण इस क्षेत्र को ‘विहार’ कहा जाने लगा, और तुर्कों के शासनकाल में इसका उच्चारण ‘बिहार’ के रूप में हो गया। 

  • मगध: यह बिहार का सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक नाम है, जो एक शक्तिशाली साम्राज्य था जिसके शासन में अशोक जैसे सम्राट हुए थे। 
  • विहार: बौद्ध धर्म के प्रभाव के कारण, यहां मठों की स्थापना हुई और इन मठों के निवास स्थान ‘विहार’ कहलाए। यह शब्द धीरे-धीरे पूरे क्षेत्र के लिए इस्तेमाल होने लगा। 
  • बिहार: 12वीं शताब्दी में जब मुस्लिम शासकों ने इस क्षेत्र पर शासन किया, तो उन्होंने ‘विहार’ शब्द को ‘बिहार’ कहना शुरू कर दिया। 


बिहार की खोज कब हुई थी?

बिहार की आधुनिक राज्य के रूप में स्थापना 22 मार्च, 1912 को हुई थी, जब इसे बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग किया गया था। इससे पहले, यह बंगाल प्रेसिडेंसी का हिस्सा था। 

  • स्थापना: 22 मार्च, 1912 को बिहार और ओडिशा को बंगाल से अलग कर एक अलग प्रांत बनाया गया था। 
  • नामकरण: इसी समय बिहार को आधिकारिक रूप से यह नाम मिला था, जो बौद्ध धर्म के “विहार” (मठों) से आया है। 
  • ओडिशा का अलग होना: 1936 में, ओडिशा को बिहार से अलग कर एक अलग राज्य बना दिया गया था। 
  • झारखंड का अलग होना: 2000 में, झारखंड को बिहार से अलग कर एक नया राज्य बनाया गया। 


बिहार का पहला राजा कौन था?

बिहार का “पहला राजा” कौन था, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस ऐतिहासिक काल का उल्लेख कर रहे हैं। हालांकि, मगध साम्राज्य के संस्थापक के रूप में बिम्बिसार को आमतौर पर बिहार का पहला वास्तविक शासक माना जाता है। बिम्बिसार ने छठी शताब्दी ईसा पूर्व में मगध राज्य की स्थापना की और हर्यक वंश की शुरुआत की, जिसकी राजधानी राजगीर (उस समय गिरिव्रज) थी। 

  • मगध के संस्थापक: बिम्बिसार को मगध साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक और राजा माना जाता है। 
  • अन्य महत्वपूर्ण शुरुआती शासक:
    • बिम्बिसार के पुत्र, अजातशत्रु, और फिर उनके पोते, उदयन, भी मगध के महत्वपूर्ण राजा थे। 
    • उदयन ने राजधानी को राजगीर से पाटलिपुत्र स्थानांतरित कर दिया। 
  • मौर्य साम्राज्य: चंद्रगुप्त मौर्य ने बाद में पाटलिपुत्र को अपनी राजधानी बनाकर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की, जो बिहार के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण राजवंश था। 


Bihar ko Bihari kyu kaha jata hai?

बिहार को ‘बिहारी’ कहा जाता है क्योंकि राज्य के नाम ‘बिहार’ की उत्पत्ति संस्कृत शब्द “विहार” से हुई है, जिसका अर्थ होता है “आवास” या “ठहरने की जगह”। प्राचीन काल में, यह क्षेत्र बौद्ध भिक्षुओं के लिए महत्वपूर्ण मठों और शिक्षण केंद्रों से भरा हुआ था, जिन्हें ‘विहार’ कहा जाता था। इन विहारों की अधिकता के कारण, पूरे क्षेत्र को “विहारों की भूमि” कहा जाने लगा, और अंततः यह नाम ‘बिहार’ बन गया। इस प्रकार, बिहार राज्य के निवासियों को ‘बिहारी’ कहा जाता है। 

  • नाम की उत्पत्ति: ‘विहार’ शब्द का अर्थ बौद्ध मठ, आश्रम या “ठहरने की जगह” है। 
  • ऐतिहासिक संदर्भ: प्राचीन काल में नालंदा और विक्रमशिला जैसे कई महत्वपूर्ण बौद्ध विहार यहां स्थित थे। 
  • नाम का विकास: इन विहारों की बहुतायत के कारण इस क्षेत्र को “विहारों की भूमि” के रूप में जाना जाने लगा, जो समय के साथ “बिहार” में बदल गया। 
  • निवासियों की पहचान: इसलिए, जो लोग बिहार राज्य के निवासी हैं, उन्हें ‘बिहारी’ कहा जाता है। 


बिहारी किस भगवान का नाम है?

 बिहारी: उत्तर भारत में भगवान कृष्ण के लिए “बिहारी” शब्द एक प्रचलित नाम है। इसका प्रयोग अक्सर उन्हें उनके प्रियतम या वृंदावन में लीलाओं का आनंद लेने वाले व्यक्ति के रूप में किया जाता है, जिसे उनके बचपन के दिनों में उनका क्रीड़ास्थल माना जाता था।


महाभारत काल में बिहार का क्या नाम था?

महाभारत काल में बिहार का मुख्य नाम मगध था, जो वर्तमान दक्षिण बिहार को संदर्भित करता था। इस क्षेत्र के अन्य हिस्से भी थे, जैसे कि अंगदेश (भागलपुर) और वैशाली जो महाभारत काल में महत्वपूर्ण थे। मगध साम्राज्य की राजधानी “गिरिव्रज” (अब राजगीर) थी, जो महाभारत के कई प्रमुख घटनाओं का केंद्र थी। 

  • मगध: दक्षिण बिहार का प्राचीन नाम, जिस पर जरासंध का शासन था। इसकी राजधानी गिरिव्रज थी, जो आज के राजगीर के पास है। 
  • अंगदेश: वर्तमान भागलपुर क्षेत्र को अंगदेश कहा जाता था और इसकी राजधानी चम्पानगरी (आधुनिक मुंगेर) थी। 
  • वैशाली: एक प्राचीन शहर, जिसका नाम राजा विशाल के नाम पर रखा गया था। 
  • कीकट: ऋग्वेद में बिहार क्षेत्र के लिए इस्तेमाल किया गया एक और नाम। 
  • एकचक्रनगरी: महाभारत में उल्लिखित यह स्थान आज के आरा, बिहार में है। 


बिहार नाम किसने दिया?

बिहार, जिसे अक्सर “शांति का निवास” कहा जाता है, इसका नाम संस्कृत और पाली शब्द ‘विहार’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है निवास स्थान। इस राज्य का गहरा ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि इसके इतिहास का अधिकांश भाग बौद्ध भिक्षुओं द्वारा बसाया गया था।


बिहार में किस भगवान का जन्म हुआ था?

सही उत्तर बिहार है। महावीर, जिसे वर्धमान के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म बिहार में आधुनिक वैशाली के, वज्जी साम्राज्य में हुआ था। भगवान महावीर जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर थे जिन्होंने 23 वें तीर्थंकर, पार्श्वनाथ का उत्तराधिकारी माना जाता है।


बिहारी इतना प्रसिद्ध क्यों है?

बिहारी मगध में स्थापित कई महान साम्राज्यों के संस्थापक थे, जिनमें नंद साम्राज्य, मौर्य साम्राज्य और गुप्त साम्राज्य शामिल हैं । इन सभी साम्राज्यों की राजधानियाँ पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) में थीं। भारत के दो प्रमुख धर्मों की उत्पत्ति भी बिहार में हुई है।


बिहार का अंतिम राजा कौन था?

बिहार का “अंतिम राजा” इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस राजवंश या रियासत की बात कर रहे हैं। प्राचीन काल में, हर्यक वंश के अंतिम शासक नागदशक थे, जिन्हें शिशुनाग ने उखाड़ फेंका था। वहीं, दरभंगा राज के अंतिम शासक महाराजा बहादुर सर श्री कामेश्वर सिंह थे, जिनका निधन 1962 में हुआ था। 

  • प्राचीन मगध राजवंश: हर्यक वंश के अंतिम राजा नागदशक थे, जिन्हें उनके सेनापति शिशुनाग ने उखाड़ फेंका था। 
  • दरभंगा राज: दरभंगा राज के अंतिम शासक महाराजा बहादुर सर श्री कामेश्वर सिंह थे। भारत सरकार द्वारा जमींदारी प्रथा को समाप्त करने के बाद, 1962 में उनके निधन के साथ इस राज का अंत हो गया। 
  • बेतिया राज: बेतिया राज के अंतिम महाराज हरेंद्र किशोर सिंह थे, जिनकी मृत्यु 1893 में हुई थी। 
  • टिकारी राज: इस राज की अंतिम शासक महारानी राजरूप कुंवर थीं, जिन्होंने कुशल शासन किया था। 


बिहार का जनक कौन था?

आधुनिक बिहार का जनक डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को माना जाता है, क्योंकि उनकी देखरेख में ही बिहार बंगाल से अलग होकर एक नए प्रांत के रूप में अस्तित्व में आया था। प्राचीन बिहार के संदर्भ में, बिम्बिसार को हर्यक वंश का संस्थापक और मगध साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है, जिसने राजनीतिक शक्ति के रूप में बिहार के उदय की नींव रखी थी। 

आधुनिक बिहार के जनक:

  • डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा: उन्हें आधुनिक बिहार का निर्माता कहा जाता है। 
  • उन्होंने महेश नारायण और अली इमाम जैसे लोगों के साथ मिलकर बिहार को बंगाल से अलग कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 
  • वह संविधान सभा के पहले अध्यक्ष थे और उनकी अध्यक्षता में बिहार एक अलग राज्य बना। 

प्राचीन बिहार के जनक:

  • बिम्बिसार: हर्यक वंश के संस्थापक बिम्बिसार को मगध साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
  • उन्होंने ही राजनीतिक शक्ति के रूप में बिहार के उदय की शुरुआत की। 

ऋग्वेद में बिहार का क्या नाम है?

कुछ विद्वानों ने ऋग्वेद में वर्णित कीकट राज्य को बिहार (मगध) में रखा है क्योंकि बाद के ग्रंथों में कीकट को मगध के पर्याय के रूप में प्रयोग किया गया है; हालांकि, माइकल विट्ज़ेल के अनुसार, कीकट पूर्वी राजस्थान या पश्चिमी मध्य प्रदेश में कुरुक्षेत्र के दक्षिण में स्थित था।


1912 se pahle Bihar Ka Kya Naam tha?

1912 से पहले बिहार के किसी एक नाम के बजाय, यह बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा था, लेकिन प्राचीन काल में इसका सबसे प्रमुख नाम मगध था. 

  • 1912 से पहले: बिहार, उड़ीसा सहित, ब्रिटिश भारत की बंगाल प्रेसीडेंसी का एक भाग था. 
  • प्राचीन काल में: इस क्षेत्र को प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से सबसे शक्तिशाली मगध के नाम से जाना जाता था, जहाँ अशोक और बिम्बिसार जैसे सम्राटों ने शासन किया. 
  • अन्य प्राचीन नाम: इस क्षेत्र में अन्य प्राचीन राज्य भी थे, जैसे कि मगध के अधीन अंगदेश. 


बिहार का असली नाम क्या है?

बिहार का “असली” नाम इसके प्राचीन इतिहास में छिपा है, जो ‘मगध’ था। हालांकि, आधुनिक नाम ‘बिहार’ संस्कृत और पाली शब्द ‘विहार’ से आया है, जिसका अर्थ है ‘मठ’ या ‘निवास स्थान’। यह नाम इस क्षेत्र में बौद्ध मठों की बहुतायत के कारण पड़ा, जिनमें नालंदा और विक्रमशिला जैसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय भी शामिल थे। 

  • मगध: यह बिहार का प्राचीन नाम था, जो एक शक्तिशाली साम्राज्य था और बौद्ध और जैन धर्म के उद्भव का केंद्र था। 
  • विहार: यह संस्कृत/पाली शब्द है जिसका अर्थ है ‘मठ’ या ‘निवास स्थान’। 
  • बिहार: समय के साथ ‘विहार’ शब्द बदलकर ‘बिहार’ हो गया, जो क्षेत्र में बौद्धों के लिए ‘विहारों’ के अस्तित्व को दर्शाता है। 


बिहार का पहला नाम क्या है?

बिहार का पुराना नाम ‘ विहार ‘ है। यह शब्द ‘विहार’ शब्द से आया है, जिसका अर्थ है बौद्ध भिक्षुओं का विश्राम स्थल। हालाँकि, 12वीं शताब्दी के मुस्लिम शासकों ने इस राज्य को पहली बार ‘बिहार’ कहा था।


बिहारी किस भगवान का नाम है?

बिहारी: उत्तर भारत में भगवान कृष्ण के लिए “बिहारी” शब्द एक प्रचलित नाम है। इसका प्रयोग अक्सर उन्हें उनके प्रियतम या वृंदावन में लीलाओं का आनंद लेने वाले व्यक्ति के रूप में किया जाता है, जिसे उनके बचपन के दिनों में उनका क्रीड़ास्थल माना जाता था।


क्या देवी सीता बिहार की है?

पुनौरा धाम । पुनौरा धाम, जिसमें जानकी जन्मस्थली मंदिर (अर्थात जानकी जन्मस्थान मंदिर) शामिल है, भगवान राम की पत्नी माता सीता के जन्म स्थान के रूप में प्रतिष्ठित है, जो भारत-नेपाल सीमा के पास उत्तर बिहार में सीतामढ़ी जिले के सीतामढ़ी शहर से 5 किमी दक्षिण पश्चिम में पुनौरा गांव में स्थित है।


कृष्ण ने अपनी बहन से शादी क्यों की थी?

कृष्ण ने अपनी चचेरी बहन सुभद्रा का विवाह अर्जुन से करवाया था, सगी बहन से नहीं। इस विवाह के कई कारण थे: 

  • अर्जुन और सुभद्रा का प्रेम: अर्जुन सुभद्रा से प्रेम करते थे और वह भी उनसे विवाह करना चाहती थीं। 
  • बलराम को रोकना: बलराम सुभद्रा का विवाह दुर्योधन से करवाना चाहते थे, इसलिए कृष्ण ने अर्जुन को सुभद्रा का अपहरण करने के लिए प्रोत्साहित किया। 
  • धर्म की स्थापना: कृष्ण को पहले से ही महाभारत युद्ध का पूर्वाभास था और वे चाहते थे कि धर्म की पुनः स्थापना के लिए पांडवों की विजय हो, जिसके लिए अर्जुन का पाण्डु पुत्रों के पक्ष में होना आवश्यक था। 

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • सुभद्रा, कृष्ण की सगी बहन नहीं थीं, बल्कि वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी की पुत्री थीं। 
  • तत्कालीन समय में चचेरे भाई-बहनों के बीच विवाह सामान्य था और इस तरह के विवाह यादव वंश में होते थे। 
  • इस विवाह के बाद, सुभद्रा और अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु हुए, जो महाभारत के एक प्रमुख योद्धा थे। 


बिहार का प्रसिद्ध भगवान कौन है?

बिहार के लिए कोई एक “भगवान” नहीं है, बल्कि यह विभिन्न धार्मिक और लोक परंपराओं का केंद्र है, जिनमें भगवान महावीर, भगवान शिव, भगवान विष्णु और स्थानीय लोक देवता जैसे बरहम बाबा शामिल हैं। भगवान महावीर को जैन धर्म के संस्थापक के रूप में महत्वपूर्ण माना जाता है, जबकि भगवान शिव और भगवान विष्णु के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। बरहम बाबा जैसे स्थानीय देवता भी बहुत पूजे जाते हैं। 

प्रमुख देवता

  • भगवान महावीर: जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, जिनका जन्म बिहार में हुआ था। 
  • भगवान शिव: बिहार में भगवान शिव के कई मंदिर हैं, जिनमें वैशाली में उनकी सबसे बड़ी मूर्तियों में से एक है। 
  • भगवान विष्णु: गया में विष्णुपद मंदिर है, जहाँ भगवान विष्णु के पैरों के निशान माने जाते हैं। 
  • बरहम बाबा: उत्तरी बिहार के लोक धर्म के प्रमुख देवता हैं, जिन्हें गांव का संरक्षक माना जाता है। 
  • बीर कुँआर: पश्चिमी बिहार के यादवों द्वारा पूजे जाने वाले एक देवता हैं, जिन्हें भगवान कृष्ण का ही एक रूप माना जाता है। 

बिहार के जनक कौन थे?

आधुनिक बिहार का जनक डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को माना जाता है, क्योंकि उनकी देखरेख में ही बिहार बंगाल से अलग होकर एक नए प्रांत के रूप में अस्तित्व में आया था। प्राचीन बिहार के संदर्भ में, बिम्बिसार को हर्यक वंश का संस्थापक और मगध साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है, जिसने राजनीतिक शक्ति के रूप में बिहार के उदय की नींव रखी थी। 

आधुनिक बिहार के जनक:

  • डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा: उन्हें आधुनिक बिहार का निर्माता कहा जाता है। 
  • उन्होंने महेश नारायण और अली इमाम जैसे लोगों के साथ मिलकर बिहार को बंगाल से अलग कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 
  • वह संविधान सभा के पहले अध्यक्ष थे और उनकी अध्यक्षता में बिहार एक अलग राज्य बना। 

प्राचीन बिहार के जनक:

  • बिम्बिसार: हर्यक वंश के संस्थापक बिम्बिसार को मगध साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
  • उन्होंने ही राजनीतिक शक्ति के रूप में बिहार के उदय की शुरुआत की। 

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